मंत्र सिद्ध चैतन्य “आयुष्मान सिद्धि माला”:
स्वयं मे जाकर उमाशंकर को स्पर्श करना ही आयुष्मान सिद्धि है..शिव सहस्रार और शक्ति का स्थान नाभि मंडल है….
मंत्र सिद्ध चैतन्य आयुष्मान सिद्धि माला धारण करने से उर्जा अर्थात शक्ति शिव सर्पाकार हो शिव अर्थात सहस्त्रार की ओर उठती है और अपने शिव से मिले स्वयं में तृप्त होती है, व्यक्ति साधक शिष्य अवश्य ही संतुष्ट, तृप्त , आनंद प्राप्त करता है, साधक के समस्त ज्ञान चक्षु खुलने लागते हैं, सभी चक्रों की यात्रा सहज ही होने लगती है, जन्म मृत्यु से मुक्त साधक सम्पूर्ण आयु प्राप्त कर परम आनंदसे युक्त्जिवन जीता है, आयुष्मान सिद्धि माला धारण करना जीवन का परम सौभाग्य….
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