मंत्र सिद्ध चैतन्य “कूष्मांडा सिद्धि माला”:
आदिशक्ति दुर्गा का चतुर्थ स्वरुप कुष्मांडा शक्ति है..अपने उदर से अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा
जाता है, व्यक्ति साधक शिष्य के अनाहत चक्र में स्थित होती है..मंत्र सिद्ध चैतन्य कूष्मांडा माला धारण करने से अनाहत चक्र जाग्रत होता है, साधक
सिद्धियों को स्वत: ही प्राप्त करने लग जाता है, समस्त रोग शोक दुख दारिद्रय नष्ट हो जाते हैं….
इनकी साधना उपासना और भक्ति से आयु की वृद्धि होती है.. यदि साधक सच्चे हृदय से इस माला को धारण कर कूष्मांडा शक्ति की उपासना करे तो अत्यंत सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो जाती है, कूष्मांडा सिद्धि माला धारण करना परम सौभाग्य….
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