मंत्र सिद्ध चैतन्य “लक्ष्मी वर-वरद माला”:
यह केवल किसी माला का ही नाम नहीं, यह तो साक्षात् लक्ष्मी को अपने शरीर, प्राण और सम्पूर्ण जीवन में उतार लेने की क्रिया है। माला के रुप में लक्ष्मी का यह समाहितीकरण जहां व्यक्ति के वक्षस्थल से निरंतर सम्पर्कित रह उसके शरीर में धीरे-धीरे लक्ष्मी तत्व समाहित कर देता है और उसके अन्दर सम्मोहनकारी गुण भी पनपने लगते हैं….
ऐसी माला धारण करने वाली स्त्री या पुरुष के शरीर से पद्मगंध आने लगती है, कि उससे मिलने-जुलने वाले ठिठक कर उससे सम्मोहित हो ही जाते हैं और यही सम्मोहनकारी गुण फिर व्यक्ति को सफलता प्रदान करने वाला बन जाता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में। ऋण, दरिद्रता, तनाव, निर्धनता, अड़चनें आदि ऐसी कई दुखद स्थितियां इसके माध्यम से समाप्त हो जाती हैं। जिनके पुण्य उदित हो जाते हैं, जिनके जीवन में श्रेष्ठता, यश, मान और ऐश्वर्य की प्राप्ति के क्षण आ जाते हैं, वे ही इस प्रकार की देव-दुर्लभ माला प्राप्त कर एक झटके में ही जीवन में वे सभी स्थितियां प्राप्त कर लेते हैं।
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