मंत्र सिद्ध चैतन्य परा विद्या “प्राण विखंडन माला”:
परा विद्या प्राणों के मंथन की और अंतर्मन की यात्रा की विद्या है..ब्रह्म मुहूर्त, संध्या और अर्धरात्रि, अंतः में प्रज्वलित प्रकाश की यात्रा हेतु, पूर्णता के साथ बाह्रा इन्द्रियों को स्वयं के वशीभूत कर, ऋषियों की भांति ब्रह्मचारी का पालन, चक्शोप्निषद के अनुसार अंतर्मन के चक्षु को जागृत करने हेतु, पूर्णता के साथ इश्वर की उपासना विधि विधान सहित पूजन, सरे इन्द्रियों को वश में करते दिन प्रतिदिन प्राणों में उतरते जाने का प्रण, ऋषि की भांति जीवन अर्थात स्व रस अर्थात ब्रह्म रस में ही पिरोहित रहे, यही मंत्र सिद्ध चैतन्य परा विद्या प्राण विखंडन माला की सिद्धि सफलता स्श्रेष्ठाता है, यह माला धारण करना जीवन का परम सौभाग्य….
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