” गुरु पादुका विधान रहस्यम “:
श्री गुरु पादुका पूजन तो इस बात को यह एहसास करने का है कि गुरु से मेरे संबंध शरीर के संबंध नहीं है बल्कि प्राणों के संबंध हैं, आत्मा के संबंध हैं, जिंदगी व जीवन्तता के संबंध हैं और अगर ऐसा नहीं हैं तो तुम्हारा शारीर ठीक वैसा ही है जैसा पशुओं का शरीर है, यदि तुम प्राणगत नहीं हुए तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम सुन्दर हो कि कुरूप, आज नहीं तो पांच साल बाद, बीस साल बाद अपने दादा, परदादा की तरह तुम भी चले जाओगे |
यदि आप अपने चेहरे पर मुस्कराहट नहीं ला पा रहे हैं, आनंद में प्रतिष्ठित नहीं हो पा रहे हैं तो निश्चित ही आप जीवन का महत्व नहीं समझ पा रहे हैं और इस तरह एक दिन आप समाप्त हो जायेंगे | आप मृत्युमय जीवन से अमृत्यु की यात्रा पर चल सकें इसलिए श्री गुरु पादुका पूजन अवश्य ही आप करें….
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