” यज्ञ विधान रहस्यम ” : भारतीय संस्कृति, भारतीय धर्म एवं समाज सदा से ही यज्ञ पर आश्रित रहा है क्यूंकि यज्ञ के माध्यम से जन चेतना का शुद्धिकरण होता है, चेतना के शुद्धिकरण से ही परिशुद्ध समाज एवं विशुद्ध धर्म का निर्माण होता है |
किसी भी कथा, कीर्तन, व्रत, उपवास, रामायण, गीता परायण के अंत में यज्ञ-हवन आदि करने का विधान है | पूर्ण विधि-विधान से यज्ञ कैसे करें ? इसके लिए पूज्य श्री गुरुदेव ने बड़ी सरलता से इस पुस्तक में बताया है |
व्यक्ति, साधक एवं शिष्य अपनी समस्त अड़चनों, बाधाओं को यज्ञ कर इस विधा से दूर कर सकता है तथा स्थिर लक्ष्मी, सर्व सुख मनोकामना पूर्ति सहज ही कर सकता है |
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